google-site-verification=4oIbGmbYYYBPv3EGG-Df9aZrg3wgigfqgFwdIkp0OMA Puri Jagannath temple history पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास

Puri Jagannath temple history पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास

 

Puri Jagannath temple history पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास 

पुरी जगन्नाथ मंदिर (Puri jagannath temple history) , जिसे जगन्नाथ पुरी मंदिर या श्री मंदिर भी कहते हैं, एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को समर्पित है। यह मंदिर हिन्दू धर्मीयों के लिए चार धाम यात्रा स्थलों में से एक है और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। 

puri Jagannath temple history पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास
  • ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का ऐतिहासिक महत्व बहुत प्राचीन समयों में जाता है। इसे माना जाता है कि इसे पूर्वी गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोड़गंग देव ने 12वीं शताब्दी में निर्माण किया था।
  • स्थापत्य कला की अद्वितीयता: मंदिर का स्थापत्य कला, कलिंगा शैली को प्रदर्शित करता है, जो ओडिशा के क्षेत्र में पैदा हुई। इस शैली की पहचान उसके मुख्य गोपुर (शिखर) के माध्यम से होती है, जो मुख्य गर्भगृह और जगमोहना (सभा मंडप) से ऊपर उठते हैं। शिखरों को जटिल नक्काशी वाले स्टोन संग्रहों से सजाया गया है, जो विभिन्न पौराणिक प्रतिमाओं, देवताओं और हिन्दू महाकाव्यों की कथाओं का वर्णन करते हैं।
  • पत्थर की मूर्तियाँ: मंदिर की अत्यंत विस्तृत पत्थर की मूरतियों में बने सजावटी कार्य भी विशेषग्यता से अलंकृत हैं। इन मूर्तियों में विभिन्न देवताओं, मिथकीय प्राणियों, देवी-देवताओं के चित्रण आदि शामिल हैं। इन मूर्तियों की जटिलता और सृजनशीलता काफी प्रशंसनीय है, जो उस समय के कलाकारों की कुशलता कोप्रदर्शित करती है।
  • तोरण या द्वार: मंदिर के परिसर में चार विभाजित द्वार होते हैं, जिन्हें तोरण कहा जाता है। ये तोरण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण होते हैं और यात्रियों के लिए मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं। इन तोरणों पर स्कलपटियों की छवियां बनी होती हैं जो धार्मिक पाठों और कथाओं की दृश्यवान रूपरेखा का प्रतिष्ठान करती हैं।
  • मंदिर की दीवारें: मंदिर की बाहरी दीवारें विभिन्न नीचों में स्थित निचों में प्रतिमाओं के साथ अत्यंत सुंदर मूर्तियों से सजी होती हैं। ये मूर्तियाँ धार्मिक और कलात्मक दृष्टिकोण देती हैं और मंदिर की महिमा और कलाकी सुंदरता में योगदान करती हैं।
  • ध्वज स्तंभ: मंदिर के परिसर में एक ऊँचा ध्वज स्तंभ होता है, जिसे अरुण स्तंभ या द्वाजा स्तंभ कहा जाता है। यह मुख्य प्रवेश द्वार के सामने स्थित होता है और विभिन्न प्रतीक और नक्काशों से सजा होता है। Puri jagannath temple history


Puri Jagannath temple history पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास


पुरी जगन्नाथ मंदिर में कई प्रकार की पूजा और आराधना कार्य होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण पूजा-आराधना कार्यों का उल्लेख किया गया है:

आदिवासी प्रथाना: प्रातःकाल में मंदिर के प्रवेश द्वार पर आदिवासी प्रथाना नामक एक विशेष पूजा का आयोजन होता है। इस पूजा में आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधि अपने धर्मिक आयोग्यता का प्रदर्शन करते हैं।द्वार फिरा: दिनभर मंदिर के द्वारों की खोल-बंद की पूजा विधि को "द्वार फिरा" कहा जाता है। इस पूजा के दौरान पुजारियों द्वारों को खोलने और बंद करने का कार्य सम्पन्न करते हैं। यह पूजा दिनभर नियमित रूप से होती है और दर्शनार्थियों को मंदिर के द्वारों के अन्दर जाने का अवसर प्रदान करती है।साहारा: दिनभर मंदिर में विशेष प्रतीक और नियमित पूजा विधियों के अनुसार विभिन्न पूजा-पाठ कार्य होते हैं। इनमें से एक पूजा कार्य "साहारा" है, जिसमें पुजारी भोग, पुष्प, आरती आदि को मंदिर की विभिन्न प्रतिमाओं के साथ अर्पण करते हैं।बेशभरा: दिनभर प्रदर्शन के लिए अपने बेश में पहने हुए देवताओं को प्रतिष्ठित करने के लिए "बेशभरा" नामक पूजा का आयोजन होता है। यह पूजा मंदिर के अंदर विभिन्न प्रतिमाओं के साथ की जाती है और उन्हें विशेष आराधना का अवसमाफ़ कीजिए, मेरे पिछले उत्तर में संक्षेप में अधिक जानकारी नहीं थी। पुरी जगन्नाथ मंदिर में कई प्रकार की पूजा और आराधना कार्य होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण पूजा-आराधना कार्यों का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है:

मंदिर के प्रमुख पूजा कार्य:
    • आरती: मंदिर में दिनभर कई बार आरतियाँ होती हैं। ये आरतियाँ विभिन्न प्रतिमाओं के लिए समर्पित होती हैं, जैसे कि जगन्नाथ, बालभद्र, सुबद्रा, सुदर्शन चक्र आदि के लिए।
    • सहस्राब्दि महोत्सव: पुरी जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख आराधना कार्यों में सहस्राब्दि महोत्सव एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इस महोत्सव के दौरान, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य मंदिर के भीतर चली आती है और नई मूर्तियों की स्थापना की जाती है।
    • रथ यात्रा: रथ यात्रा, जिसे रथ जात्रा भी कहा जाता है, पुरी जगन्नाथ मंदिर का एक प्रमुख पर्व है। इस यात्रा में जगन्नाथ भगवान की मूर्तियाँ रथ में स्थापित की जाती हैं और वे अपने रथों पर पूरी नगरी के बाहर निकलते हैं। यह यात्रा वार्षिक रूप से अद्यतन की जाती है और बहुत सारे भक्तों को आकर्षित करती है।
  • प्रतिदिन आयोजित होने वाली पूजाएं:

    • द्वार फिरा: दिनभर मंदिर के द्वारों की खोल-बंद की पूजा विधि को "द्वार फिरा" कहा जाता है
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